आयुर्वेद में तुलसी का धन्वन्तरी प्रयोग – कठिन बीमारियों में मिलता है अचूक लाभ !

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आयुर्वेद में तुलसी का धन्वन्तरी प्रयोग – कठिन बीमारियों में मिलता है अचूक लाभ !

Tulsi or Indian Basil are considered Miracle herb in Ayurveda – you get incredible benefits in difficult diseases!

समाज विकास संवाद!
न्यू दिल्ली ,

आयुर्वेद में तुलसी का धन्वन्तरी प्रयोग – कठिन बीमारियों में मिलता है अचूक लाभ, तुलसी के बीजों का सेवन दूध के साथ करने से पुरुषों में बल वीर्य और संतोनोत्पति की क्षमता बढ़ती है। 

शास्त्रानुसार तुलसी के विभिन्न प्रकार के पौधे मिलते है,

उनमें से प्रमुख है –

  • श्रीकृष्ण तुलसी,
  • लक्ष्मी तुलसी,
  • राम तुलसी,
  • भू तुलसी,
  • नील तुलसी,
  • श्वेत तुलसी, 
  • रक्त तुलसी,
  • वन तुलसी,
  • ज्ञान तुलसी,     

 

तुलसी की इन सभी प्रकारो के गुण अलग अलग है। 

मानव शरीर में नाक, कान की बीमारी, वायु, कफ, ज्वर, खांसी और दिल की बिमारिओं पर तुलसी का सटीक प्रयोग खास प्रभाव डालती है!

 

असाध्य रोगों को भी जड़ से खत्म करने में सक्षम तुलसी!

Tulsi or Indian Basil is able to eliminate incurable diseases from the root, Tulsi is a very important and useful plant.

 

इसके सभी भाग अलौकिक शक्ति तत्वों से परिपूर्ण माने गए हैं।
तुलसी के पौधे से निकलने वाली सुगंध वातावरण को शुध्द रखने में तो अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती ही है,

भारत में आयुर्वेद चिकित्सा पध्दति में भी तुलसी का बहुत महत्वपूर्ण स्थान रहा है।

तुलसी का सदियों में औषधीय रूप में प्रयोग होता चला आ रहा है।

खांसी, विष, श्वांस, कफ, बात, हिचकी और भोज्य पदार्थों की दुर्गन्ध को तुलसी दल का प्रयोग दूर करता है।

इसके अलावा तुलसी बलवर्ध्दक होती है तथा सिरदर्द स्मरण शक्ति,

आंखों में जलन, मुंह में छाले, दमा, ज्वर,

पेशाब में जलन व विभिन्न प्रकार के रक्त व हृदय संबंधी बीमारियों को दूर करने में भी सहायक है।

ये धन्वन्तरी तुलसी में छोटे-छोटे रोगों से लेकर;

असाध्य रोगों को भी जड़ में खत्म कर देने की अद्भुत क्षमता है।

इसके गुणों को जानकर और;  तुलसी का उचित उपयोग कर हमें अत्यधिक लाभ मिल सकता है।

तो लीजिए डाल लेते है तुलसी के महत्वपूर्ण औषधीय उपयोगी एवं गुणों पर एक नजर –

 

आयुर्वेद शास्त्र में तुलसी अत्यंत महत्वपूर्ण एवं उपयोगी पौधा है।

 

  •  श्वेत तुलसी बच्चों के कफ विकार, सर्दी, खांसी इत्यादि में लाभदायक है।
  •  कफ निवारणार्थ तुलसी को काली मिर्च पाउडर के साथ लेने से बहुत लाभ होता है।
  •  गले में सूजन तथा गले की खराश दूर करने के लिए; तुलसी के बीज का सेवन शक्कर के साथ करने से बहुत राहत मिलती।
  •  तुलसी के पत्तों को काली मिर्च, सौंठ तथा चीनी के साथ पानी में उबालकर पीने में खांसी, जुकाम, फ्लू और बुखार में फायदा पहुंचता है।
  • पेट में दर्द होने पर तुलसी रस और; अदरक का रस समान मात्रा में लेने से दर्द में राहत मिलती है।
  • इसके उपयोग से पाचन क्रिया में भी सुधार होता है।
  • कान के साधारण दर्द में तुलसी की पत्तियों का रस गुनगुना करके डाले।
  • नित्य प्रति तुलसी की पत्तियां चबाकर खाने से रक्त साफ होता है।
  • चर्म रोग होने पर तुलसी के पत्तों के रस के नींबू के रस में मिलाकर लगाने से फायदा होता है।
  • तुलसी के पत्तों का रस पीने से शरीर में ताकत और स्मरण शक्ति में वृध्दि होती है।
  • प्रसव के समय स्त्रियों को तुलसी के पत्तों का रस देन से प्रसव पीड़ा कम होती है।
  • तुलसी की जड़ का चूर्ण पान में रखकर खिलाने से; स्त्रियों का अनावश्यक रक्तस्राव बंद होता है।
  • जहरीले कीड़े या सांप के काटने पर, तुलसी की जड़ पीसकर काटे गए स्थान पर लगाने से दर्द में राहत मिलती है।

 

तुलसी के बीजों का सेवन दूध के साथ करने से पुरुषों में बल, वीर्य और संतोनोत्पति की क्षमता बढ़ती है।

 

  • फोड़े फुंसी आदि पर तुलसी के पत्तो का लेप लाभदायक होता है।
  • तुलसी की मंजरी और अजवायन देने से चेचक का प्रभाव कम होता है।
  • सफेद दाग, झाईयां, कील, मुंहासे आदि हो जाने पर; तुलसी के रस में समान भाग नींबू का रस मिलाकर 24 घंट तक धूप में रखे। थोड़ा गाढ़ा होने पर चेहरे पर लगाएं।
  • इसके नियमित प्रयोग से झाईयां, काले दाग, कीले आदि नष्ट होकर चेहरा बेदाग हो जाता है।
  • तुलसी के बीजों का सेवन दूध के साथ करने से पुरुषों में बल, वीर्य और संतोनोत्पति की क्षमता में वृध्दि होती है।
  • तुलसी का प्रयोग मलेरिया बुखार के प्रकोप को भी कम करता है।
  • सुबह तुलसी का शर्बत, अबलेह इत्यादि बनाकर पीने से मन शांत रहता है।
  • आलस्य निराशा, कफ, सिरदर्द, जुकाम, खांसी, शरीर की ऐठन, अकड़न इत्यादि बीमारियों को दूर करने के लिए तुलसी की जाय का सेवन करें।

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