क्या है आध्यात्म व परंब्रह्म ? वेद के अनुसार निराकार मार्ग ही है सर्वोच्च मार्ग!

Date:

Share post:

क्या है आध्यात्म व परंब्रह्म? वेद के अनुसार निराकार मार्ग ही है सर्वोच्च मार्ग!

समाज विकास संवाद!
न्यू दिल्ली ,

क्या है आध्यात्म व परंब्रह्म ? क्या है वेद? कियूं कहा जाता है; निराकार मार्ग ही है सर्वोच्च मार्ग! – समाज विकास संवाद!

साथियों, ये सृष्टि एक अनुपम व अदभुत शक्ति के प्रभाव से चल रही है,

जिसे आध्यात्म में परंब्रह्म अथवा निरंकार अथवा निराकार अथवा अदृश्य शक्ति के रूप में

जाना जाता है। ये अदृश्य शक्ति इतनी ताक़तवर है कि इसकी थाह पाना, इससे पार पाना या

वश में कर पाना साधारण मनुष्य के लिए संभव ही नहीं है।

कुछ विशेष साधक या तपस्वी ही होते हैं जो इस अदृश्य शक्ति को सैंकड़ों-हज़ारों वर्षों की

कठोर साधना या तपस्या के बाद सिर्फ अनुभूत कर सकते हैं अथवा वे बिरले ही होते हैं

जो इस अदृश्य शक्ति अथवा परंब्रह्म का आव्हान करके इसे जड़ या अचेतन में स्थापित करवा सके।

अब यहाँ दूसरा पहलू ये भी है कि यदि कोई व्यक्ति इतना बड़ा साधक है कि वह

अदृश्य शक्ति अथवा परंब्रह्म को साध्य बनाकर जड़ या अचेतन में प्राणवायु का संचार कर सके

तो वह साक्षात् महामानव अर्थात् अवतारी कहलाता है।

 

आध्यात्म व परंब्रह्म एक अदृश्य शक्ति – निराकार मार्ग ही है सर्वोच्च मार्ग

आध्यात्म व परंब्रह्म! अवतारी कोई साधारण मनुष्य नहीं अपितु महान साधक होते हैं!

ये अवतारी कोई साधारण मनुष्य नहीं अपितु महान साधक होते हैं जो अपने कर्म और

साधना के बल पर अदृश्य शक्ति अथवा परंब्रह्म को कहीं भी, कभी भी आत्मसात कर सकते हैं।

उनके लिए ये आवश्यक नहीं कि इसके लिए किसी जड़ अथवा अचेतन वस्तु को साध्य का

माध्यम बनाया जाये। वैसे भी स्वयं श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है कि परंब्रह्म तो संसार के कण-कण

में विराजमान है, हर जीव में विराजमान है, हर वस्तु या पदार्थ में विराजमान है,

हमारे अंदर विराजमान है, हमारे मन में विराजमान है।

अब गौर करने वाली बात ये है कि इस सृष्टि में मौजूद कौन इतना बड़ा साधक है जो

अपने अंदर छुपी अदृश्य शक्ति अथवा परंब्रह्म को पहचान कर इसे साध्य बना सकता है।

आईये हम सब मिलकर उस अदृश्य शक्ति अथवा परंब्रह्म को अपनी मेहनत, ईमानदारी,

निस्वार्थता, कर्तव्यपरायण, कर्मठता व निष्काम सेवाभाव की साधना व तप के प्रताप से

आत्मसात करें और जीवमात्र के कल्याण के लिए अपने आपको समर्पित करें।

सोच बदलो-समाज बदलेगा ।। जय जगदीश-मिशन जगदीश।। बदलेंगे हम-बदलेगा समाज.

 

आध्यात्मिकता क्या है?

आध्यात्मिकता क्या है? भारत की प्राचीन वेद के अनुसार आध्यात्मिकता एक विज्ञान है जो कर्म, जीवन, ध्यान,

मन और आत्मा के रहस्यों की व्याख्या करता है।

वैदिक अध्यात्म सभी सवालों के जवाब देता है लेकिन वैदिक आध्यात्मिकता के बारे में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है

कि इसका मुख्य उद्देश्य किसी भी धर्म का पालन किए बिना आत्मा को बदलना है क्योंकि वैदिक आध्यात्मिकता का कोई

धर्म नहीं है, इसका मतलब है कि आप इसे सभी के साथ साझा कर सकते हैं।

आध्यात्मिकता शुद्ध और समझने में आसान है।

वैदिक अध्यात्म आपके जीवन को हमेशा के लिए आनंदमय बनाकर कैसे बदल देगा?

क्या है आध्यात्म व परंब्रह्म ? वेद के अनुसार अध्यात्म क्या है?

वेद के अनुसार अध्यात्म क्या है ? वैदिक अध्यात्म का अर्थ केवल ध्यान नहीं है क्योंकि यह जीवन को पूर्ण आनंद में

जीने की एक कला के रूप में है, इसका मतलब है कि यह जीवन के सभी आयामों को कवर करता है।

ध्यान इसका बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है लेकिन ध्यान संपूर्ण वैदिक आध्यात्मिकता नहीं बन सकता है,

क्योंकि ध्यान के साथ एक अच्छा जीवन जीना वैदिक आध्यात्मिकता के रूप में जाना जाता है।

क्या है वेद ? कियूं हमे आपने व्यक्तित्व को समझना आवश्यक है?

कियूं हमे आपने व्यक्तित्व को समझना आवश्यक है? हमारा अहंकार हमारी गलत आत्म-छवि का प्रतिबिंब है।

तो अपने वास्तविक व्यक्तित्व को प्राप्त करके हम अहंकार मुक्त स्वयं को देख सकते हैं।

हमारा मन वास्तव में विशेष है क्योंकि हम इसे विशेष तरीके से व्यवहार करने के लिए प्रशिक्षित कर सकते हैं।

मैं आपको एक आदर्श उदाहरण दिखाता हूं – आधा भरा हुआ पानी का प्याला देखकर आप क्या सोचेंगे?

कुछ लोग कहेंगे – यह आधा खाली है और कुछ कहेंगे कि यह आधा भरा है तो उनके बीच सामान्य कारक क्या है?

उत्तर सरल है वे दोनों मानसिकता का प्रतिनिधित्व करते हैं, मैं इसे सरल करता हूं –

मान लीजिए कि आप आधी रात को सड़क पर चल रहे हैं और आप किसी को देखते हैं कि आप उस व्यक्ति या चीज को

देखने के बाद क्या करेंगे, यह आपकी मानसिकता पर निर्भर करता है।

अब हम इसे और आसान भाषा में समझाएंगे।

क्या है आध्यात्म व परंब्रह्म ? कियूं जरुरी होता है स्वयं को समझना?

कियूं जरुरी होता है स्वयं को समझना?

मनुष्य की प्रकृति दो प्रकार के होते हैं!

1. दिव्य

2. अहंकार

आधार, जो मन और आत्मा के बंधन बनकर विचारों से प्रेरित होकर बिना कर्म करते हैं उन्हें “दिव्य” कहा जाता है और

जो गलत प्रेरणा के आधार पर कार्य करते हैं उन्हें “अहं आधार” कहा जाता है।

व्यक्ति या अहंकार आधारित व्यक्तित्व लेकिन फिर भी उनके पास एक चीज समान है और वह है “मानसिकता”

क्योंकि “दिव्य” और “अहं आधारित व्यक्तित्व” दोनों ही मन के कार्य के अंतर्गत आते हैं इसलिए वे मानसिकता हैं।

अब क्या एक बुरी आत्मा खुद को एक अच्छे इंसान में बदल सकती है?

उत्तर “हाँ” है अन्यथा वैदिक आध्यात्मिकता अर्थहीन हो जाएगी।

Samaj Ki Vikas, Samaj Samvad, Samaj Ka Samvad, Samvad Vikas Ki,

Samvad Samaj Ki, Samvad Vikas Ka, Samvad Bharat Vikas, Social News,

Society News, News of Development, Development News,

Samaj, Samaj vikas, Samaj Samvad, vikas, Vikas Samvad, Samvad,

समाज, समाज विकास, समाज संवाद, विकास, विकास संवाद, संवाद,

व्यापार संवाद, आयुर्वेद संवाद, गैजेट्स संवाद, समाज विकास संवाद

1 COMMENT

Leave a Reply

Related articles

गंगा नदी का पौराणिक मान्यता क्या है ? गंगा नदी कहा है ? गंगा जल क्या है ?

गंगा नदी का पौराणिक मान्यता क्या है ? गंगा नदी कहा है ? क्या है गंगा की महत्व ? गंगा जल क्या है ? गंगा जल पवित्र कियूं है?भारतीय वैदिक सनातन धर्म की प्रतिक गंगा नदी भारत एवं इनके प्रतिवेशी देश बांग्लादेश की एक महत्वपूर्ण एवं प्रमुख नदी है।हालाँकि, बांग्लादेश में यह पद्मा नदी के नाम से प्रसिद्द है, एवं भारत में बंगाल की खाड़ी में विलय के पूर्व इन्हें भागीरथी के नाम से पुकारा जाता है!

क्या है गुड़ी पाड़वा? ‘गुड़ी’ का अर्थ क्या है?  हिन्दू समाज में नववर्ष की शुरुआत कब से?

नववर्ष उत्सव मानाते समय हमारे मन में कई प्रश्न जागता है की, क्या है गुड़ी पाड़वा? 'गुड़ी' का अर्थ क्या है? हिन्दू समाज में नववर्ष की शुरुआत कब से हुआ? कियूं महत्वपूर्ण है गुड़ी पारवा? कैसे मनाएं गुड़ी पाड़वा? इतिहास में वर्ष प्रतिपदा की क्या है परंपरा?इन प्रश्नावली के उत्तर में यह जानना एवं मानना अत्यावश्यक है की भारत की सनातन हिन्दू परंपरा में नववर्ष उत्सव अति महत्वपूर्ण होता है , चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से प्रारम्भ होता है हिन्दू नववर्ष, भारत की पश्चिम भू भाग, विशेषतः महाराष्ट्र एवं गोवा राज्य में यह उत्सव गुड़ी पड़वा के रूप में प्रसिद्द है.

श्रीराम मंदिर भूमिपुजन मे करे दिवाली का आयोजन! परंतु, रखे करोना का ध्यान- चंद्रकांत दादा पाटिल

श्री राम मंदिर भूमिपुजन मे करे दिवाली का आयोजन! परंतु, रखे करोना का ध्यान- भाजपा अध्यक्ष श्री चंद्रकांत दादा पाटिलप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि में भव्य मंदिर का भूमिपूजन समारोह दि. 5 अगस्त के दिन होगा।अपने जीवन के इस महत्वपूर्ण दिन को सभी व्यक्तिगत स्तर पर घर- घर दिवाली जैसा मनायें।लेकिन सामूहिक उत्सव टालें और कोरोना का ध्यान रखें,

कोविद१९ के चलते मालवणी की मोरेश्वर गणपति इस वर्ष केवल डेढ़ दिन के लिए!

मालवणी की मोरेश्वर गणपति इस वर्ष केवल डेढ़ दिन के लिए!कोविद१९ महामारी के चलते आयोजक मोरया बॉयज मंडल की महत्वपूर्ण निर्णयइस वर्ष, मोरेश्वर मित्र परिवार ने गणेश उत्सव को सरल तरीके से मनाने का निर्णय लिया है।मुंबई में भयानक रूप से फ़ैल रहे कोरोना महामारी के चलते सामाजिक दूरिय बजाये रखना सार्वजनिक हीत के किये अत्यंत महत्वपूर्ण है!