भारत की कुल अंतर्राष्ट्रीय ऋण 620.7 अरब डॉलर में से केंद्र की हिस्सेदारी सिर्फ 21% है!

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भारत की कुल अंतर्राष्ट्रीय ऋण 620.7 अरब डॉलर में से केंद्र की हिस्सेदारी सिर्फ 21% है!

समाज विकास संवाद!
न्यू दिल्ली

 

भारत की कुल अंतर्राष्ट्रीय ऋण 620.7 अरब डॉलर में से केंद्र की हिस्सेदारी सिर्फ 21% है अर्थात 130.8 अरब डॉलर है!

श्रीलंका, पाकिस्तान, चीन सहित भारतीय प्रतिबेशी देशो पर आई भरी आर्थिक संकट को देखते हुए

देश के बिभिन्न राजनैतिक महल से दर्शाया गया अस्थिरता को समाप्त करते हुए केंद्र सरकार ने कहा है की,

चिंता की कोई भी आवश्यकता नहीं कियुनकी भारतीय अर्थनीति की बुनियाद बेहद मजबूत है,

एवं भारतीय अर्थनीति की बागडौर बेहतरीन हाथों में है!

केंद्र सरकार ने $620.7 आरब रुपये की  बाहरी ऋण का कारण बरती हुई चिंताओं को दूर किया,

कहा कि इस रक्कम में से केंद्र सरकार का हिस्सा केवल 21% अर्थात 130.8 अरब डॉलर है,

वो भी आनेवाले कई वर्ष में चुकाया जाना है, जिसके लिए केंद्र सरकार के पास सम्पूर्ण आर्थिक प्रावधान बना हुआ है!

इस $620.7 आरब रुपये की  बाहरी ऋण में से करीब $267.7 आरब रुपये की पुनर्भुगतान

एक वर्ष से भी कम समय में होने हैं, लेकिन इस में से केंद्र सरकार का हिस्सा केवल $7.7 आरब रुपये ही  है!

 

 

भारत के विदेशी कर्ज में भारत का विशेष आहरण अधिकार (एस डी आर) आवंटन भी शामिल!

मोदी सरकार ने भारत के विदेशी कर्ज के बारे में आशंकाओं को सम्पूर्ण रूप से खारिज करते हुए कहा कि

भारत की कुल बाहरी देनदारी 620.7 अरब डॉलर में से केंद्र की हिस्सेदारी सिर्फ 130.8 अरब डॉलर है,

जो कुल कर्ज देनदारी का 21 फीसदी है।

इस कर्ज में में भारत का विशेष आहरण अधिकार (Special Drawing Right – एस डी आर) आवंटन भी शामिल है।

अर्थ मंत्रालय की एक सूत्र के अनुसार,

“कुछ भारत विरोधी तत्व एवं राजनैतिक विरोधी यह अफवाह फैला रही है कि केंद्र सरकार कर्ज के बोझ से दबी है,

यह पूर्णतया निराधार है।”

भारत की कुल अंतर्राष्ट्रीय कर्ज में से करीब 40 फीसदी से ज्यादा कर्ज गैर-वित्तीय निगमों का है।

 

 

आगले एक साल में केंद्र सरकार को केवल 7.7 अरब डॉलर का ही भुगतान करना है!

बित्तिय अधिकारियों ने भारत के विदेशी कर्ज पर दर्शाया गया चिंताओं के बाद भारत की कर्ज की स्थिति को स्पष्ट की,

क्योंकि इनमे से कूल 267 अरब डॉलर का पुनर्भुगतान एक साल से भी कम समय में होना है।

इससे यह आशंका पैदा हुई कि, इस अंतर्राष्ट्रीय ऋण का पुनर्भुगतान भारत के विदेशी मुद्रा भंडार को और कम कर देगा

और, भारतीय मुद्रा के अधिक मूल्यह्रास का कारण बनेगा।

अर्थ मंत्रालय की एक विश्वस्त सूत्र ने कहा, “यह विश्लेषण अधूरा है, और इसमें कुछ बुनियादी तथ्य छूट गए हैं।”

अधिकारियों ने बताया कि यह सच है कि 267.7 अरब डॉलर के कर्ज का भुगतान एक साल से भी कम समय में होना है,

परन्तु, इसमें केंद्र की हिस्सेदारी सिर्फ 7.7 अरब डॉलर या 3% से भी कम है,

इस प्रकार सरकार का ऋण स्तर बहुत अधिक प्रबंधनीय है और सुरक्षित ढंग से खड़ा है।

आर बी आई के आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2013-14 के अंत में केंद्रीय ऋण सकल घरेलू उत्पाद

52.2% से घटकर वित्त वर्ष 2019-20 के अंत में सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 51.8% हो गया था ।

हालाँकि, यह वित्त वर्ष 2021 में; एक ही वर्ष में मुख्य रूप से कोविड -19 समाप्ति के दिशा में बढ़ने के कारण,

देश की सकल घरेलू उत्पाद फिर से लगभग 10% तक बढ़ गया है।

 

 

भारत की घरेलु उत्पाद के अनुपात में अंतर्राष्ट्रीय कर्ज की हार अमेरिका, फ्रांस, कनाडा ब्रिटेन से बेहतर!

अधिकारियों ने कहा कि, आज भारत का सकल सार्वजनिक ऋण सकल घरेलू उत्पाद का 86.9% अधिक है,

लेकिन यह अनुपात कई अन्य बड़े देशों की तुलना में कई बेहतर है।

भारत की विरोधी राजनैतिक बिरोधाकों के बितर्क के मूलाधार अमेरिका पर इस वक्त 125.6% का सार्वजनिक ऋण है,

वही  फ्रांस का कुल अंतर्राष्ट्रीय ऋण उनके घरेलु उत्पाद के 112.6%, जबकि कनाडा का कुल ऋण 101.8% ,

ब्राज़ील का कुल ऋण 91.9% और यूके का 87.8% उनके संबंधित सकल घरेलू उत्पाद का कुल ऋण है।

भारत की कुल ऋण के प्रतिशत के रूप में बाह्य ऋण 2013-14 में लगभग 6.4% से गिरकर 2021-22 में 4.7% हो गया है।

 

 

राज्य द्वारा लिया गया प्रत्यक्ष अंतर्राष्ट्रीय ऋण चिंता की विषय हो सकते है!

केंद्र की बाहरी ऋण की अनुपात बेहतर है, परन्तु, भारत की बिभिन्न राज्य द्वारा लिया गया

प्रत्यक्ष अंतर्राष्ट्रीय ऋण चिंता की विषय हो सकते है!

कई केंद्रीय आर्थिक विशेषज्ञ व् अर्थ तज्ञ ने  कुछ राज्यों के कर्ज पर चिंता जताया है,

जिसे पहले ही आरबीआई और अर्थशास्त्रियों द्वारा बार-बार उल्लेखित किया जाता रहा है,

कई राज्यों द्वारा ऑफ-बजट उधारी का सहारा लेने के भी प्रमाण हैं।

 

 

भारत की अंतर्राष्ट्रीय ऋण सम्बन्धी कुछ प्रमुख बिंदु!

 

  • बाहरी कर्ज से निपटना – भारत की विदेशी ऋण स्थिति प्रबंधनीय!
  • केंद्र सरकार का बाहरी ऋण में कुल हिस्सा $130.8 अरब डॉलर, अर्थात केवल 21%, इस में भारत का एसडीआर आवंटन भी शामिल है।
  • आगले एक साल में भारत को कुल 267.7 अरब डॉलर के कर्ज का भुगतान करना है, इस में केंद्र की हिस्सेदारी 3% या 7.7अरब डॉलर है।
  • भारत का सकल सार्वजनिक ऋण सकल घरेलू उत्पाद का 86.9% है।
  • वित्त वर्ष 2014 में विदेशी ऋण लगभग 6.4% से घटकर वित्त वर्ष 2022 में 4.7% हो गया।
  • कुछ राज्यों द्वारा लिया गया प्रत्यक्ष अंतर्राष्ट्रीय कर्ज चिंता का विषय हो सकता है!

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