आजादी के 75 साल बाद एमबीबीएस विद्यार्थी राष्ट्रभाषा हिंदी में भी पढ़कर डॉक्टर बन सकेंगे! 

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आजादी के 75 साल बाद एमबीबीएस विद्यार्थी राष्ट्रभाषा हिंदी में भी पढ़कर डॉक्टर बन सकेंगे! 

 

समाज विकास संवाद!
न्यू दिल्ली,

 

आजादी के 75 साल बाद एमबीबीएस विद्यार्थी राष्ट्रभाषा हिंदी में भी पढ़कर डॉक्टर बन सकेंगे!

मध्य प्रदेश में आजादी का अमृत महोत्सव के अवसर पर डॉक्टर बनने में इच्छुक विद्यार्थियों के लिए

राष्ट्रभाषा हिंदी में उपलब्ध होंगे एमबीबीएस की पढाई!

देश में सबसे ज्यादा बोली और समझी जाने वाली भाषा हिन्दी आजादी के 75 साल बाद

मध्य प्रदेश में एमबीबीएस पाठ्यक्रम की पढ़ाई का वैकल्पिक माध्यम बनने जा रही है।

इस सिलसिले में लंबे समय से चल रही महत्वाकांक्षी कवायद सितंबर के आखिर में शुरू होने वाले नए

अकादमिक सत्र में अपने मुकाम पर पहुंच सकती है।

 

 

चिकित्सा महाविद्यालयों के एमबीबीएस पाठ्यक्रम में 60 से 70 प्रतिशत विद्यार्थी हिंदी माध्यम के होते हैं!

 

मध्य प्रदेश में राज्य के चिकित्सा शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने रविवार को बताया कि

नए अकादमिक सत्र में देश के प्रमुख हिंदीभाषी प्रांत में निजी और सरकारी चिकित्सा महाविद्यालयों के

एमबीबीएस प्रथम वर्ष के कुल 4,000 विद्यार्थियों को अंग्रेजी के साथ ही हिंदी की किताबों से भी

पढ़ाई का विकल्प मिल सकता है।

वहीं, एक संबंधित समिति के सदस्य और फिजियोलॉजी के पूर्व सह प्राध्यापक डॉ. मनोहर भंडारी ने बताया कि

राज्य के चिकित्सा महाविद्यालयों के एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने वाले 60 से 70 प्रतिशत विद्यार्थी

हिंदी माध्यम के होते हैं और अंग्रेजी की किताबों के कारण उन्हें सबसे ज्यादा समस्या प्रथम वर्ष में ही होती है।

इस संबंध में चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारी ने कहा कि राज्य सरकार एमबीबीएस प्रथम वर्ष के लिए

अंग्रेजी के तीन स्थापित लेखकों की पहले से चल रहीं किताबों को हिंदी में ढालने का काम पूरा करने की ओर बढ़ रही है

और ये पुस्तकें नए सत्र में विद्यार्थियों के हाथों में पहुंचकर चिकित्सा शिक्षा की सूरत बदल सकती हैं।

 

 

राज्य में मेडिकल की पढ़ाई अंग्रेजी माध्यम में भी जारी रहेगी!

अधिकारी ने बताया कि निजी प्रकाशकों की ये किताबें शरीर रचना विज्ञान (एनाटॉमी), शरीर क्रिया विज्ञान (फिजियोलॉजी)

और जैव रसायन विज्ञान (बायोकेमिस्ट्री) विषयों से संबंधित हैं, जिन्हें बड़े पैमाने पर छापकर विद्यार्थियों तक पहुंचाने से

पहले 55 विशेषज्ञ शिक्षकों की मदद से अलग-अलग स्तरों पर जांचा जा रहा है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य में मेडिकल की पढ़ाई अंग्रेजी माध्यम में भी पहले की तरह जारी रहेगी,

हालांकि शिक्षकों से अपील की गई है कि वे खासकर एमबीबीएस पाठ्यक्रम की कक्षाओं में हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा दें।

अधिकारी ने बताया कि मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय परीक्षार्थियों को

हिंग्लिश (हिन्दी और अंग्रेजी का मिला-जुला स्वरूप) में लिखित परीक्षा, प्रायोगिक परीक्षा और मौखिक परीक्षा (वाइवा)

देने का विकल्प काफी पहले ही प्रदान कर चुका है जिसके उत्साहजनक नतीजे प्राप्त हुए हैं।

 

 

चिकित्सा शिक्षा के लिए हिंदी पुस्तकें तैयार करने के सरकारी कार्यक्रम प्रगति पर!

चिकित्सा शिक्षा के लिए हिंदी पुस्तकें तैयार करने के सरकारी कार्यक्रम से जुड़े एक जानकार ने कहा,

इन किताबों को अंग्रेजी से हिंदी में ढालते वक्त हमने खास ध्यान रखा है कि पढ़ाई-लिखाई और पेशेवर जगत में  मूलत:

अंग्रेजी में ही इस्तेमाल होने वाली तकनीकी शब्दावली के बेवजह हिन्दी अनुवाद से बचा जाए ताकि विद्यार्थियों को

अहम शब्दों के बारे में कोई भ्रम न रहे।

उन्होंने मिसाल के तौर पर बताया कि हिंदी माध्यम की किताबों में ओस्मोलेरिटी को परासारिता लिखने के बजाय

ओस्मोलेरिटी ही लिखा गया है और इसी तरह ब्लड प्रेशर को रक्तचाप लिखने के बजाय ब्लड प्रेशर ही रहने दिया गया है।

 

 

अंग्रेजी न जानने वाले प्रतिभावान विद्यार्थी भी डॉक्टर बनकर आगे बढ़ सकें।

 

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 26 जनवरी को इंदौर में गणतंत्र दिवस समारोह में घोषणा की थी

कि राज्य में मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में भी कराई जाएगी ताकि अंग्रेजी न जानने वाले प्रतिभावान विद्यार्थी भी

डॉक्टर बनकर जीवन में आगे बढ़ सकें।

इसके बाद राज्य के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग की अध्यक्षता में आयोजित बैठक के फैसले के अनुसार

सात फरवरी को एक उच्चस्तरीय समिति गठित की गई थी।

समिति के सदस्य और फिजियोलॉजी के पूर्व सह प्राध्यापक भंडारी ने कहा कि राज्य के

चिकित्सा महाविद्यालयों के एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने वाले 60 से 70 प्रतिशत विद्यार्थी हिंदी माध्यम के होते हैं

और अंग्रेजी की मोटी-मोटी किताबों के कारण उन्हें सबसे ज्यादा दिक्कत प्रथम वर्ष में ही होती है।

वर्ष 1992 में हिन्दी में शोध प्रबंध (थीसिस) लिखकर एमडी (फिजियोलॉजी) की उपाधि प्राप्त करने वाले भंडारी ने कहा,

मातृभाषा की नयी किताबों की मदद से हिन्दी माध्यम के विद्यार्थियों के लिए डॉक्टर बनने का सपना पूरा करना अब

और आसान हो जाएगा।

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