क्या है आर्थिक रूप से पिछरा वर्ग की आरक्षण ? ई डब्ल्यू एस आरक्षण का लाभ किसे और कैसे मिलेगा ?

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क्या है आर्थिक रूप से पिछरा वर्ग की आरक्षण ?    ई डब्ल्यू एस आरक्षण का लाभ किसे और कैसे मिलेगा ?

समाज विकास संवाद!
न्यू दिल्ली,

 

क्या है आर्थिक रूप से पिछरा वर्ग की आरक्षण ?   ई डब्ल्यू एस आरक्षण का लाभ किसे और कैसे मिलेगा ?

केंद्र में नरेन्द्र मोदी सरकार की एक ऐतिहासिक फैसले को न्यायिक वैधता देते हुए

भारत की सर्वोच्च न्यायालय ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों अर्थात ई डब्ल्यू एस आरक्षण को न्यायिक मान्यता दिया!

सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने सोमवार को 3-2 के फैसले में सरकारी नौकरियों और

शैक्षणिक संस्थानों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ई डब्ल्यू एस) के लिए 10% आरक्षण की वैधता को बरकरार रखा।

सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने यह कहते हुए ई डब्ल्यू एस आरक्षण को न्यायिक मान्यता दिया कि;

“यह संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं करता है”।

 

 

 

ई डब्ल्यू एस आरक्षण के कारण भारतीय संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं हुआ!

 

सुप्रीम कोर्ट की तीन न्यायाधीशों – न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी, न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और

न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला – ने 103 वें संविधान संशोधन अधिनियम को बरकरार रखा और

कहा कि इस ई डब्ल्यू एस आरक्षण के कारण भारतीय संविधान के मूल ढांचे का किसी भी प्रकार की उल्लंघन नहीं हुआ है।

सुप्रीम कोर्ट के दो अन्य न्यायाधीशों – भारत के मुख्य न्यायाधीश यू यू ललित और एस रवींद्र भट – ने कहा कि-

सकारात्मक कार्रवाई के लिए “आर्थिक मानदंड” को सम्मिलित करने से इस

ई डब्ल्यू एस आरक्षण की मूल संरचना में परिवर्तन, उल्लंघन या विलय नहीं हुआ है।

लेकिन इस दोनों ही न्यायाधीशों ने अनुसूचित जाति (एस सी), अनुसूचित जनजाति (एस टी) और

अन्य पिछड़ा वर्ग (ओ बी सी) को इस ई डब्ल्यू एस आरक्षण कोटा के दायरे से बाहर करने को लेकर इसे

“स्पष्ट रूप से बहिष्कृत और भेदभावपूर्ण” कहते हुए विशेष टिपण्णी दर्ज कराये।

 

 

 

क्या है आर्थिक रूप से पिछरा वर्ग की आरक्षण ? ई डब्ल्यू एस कोटा के बारे में कुछ विशेष जानकारियाँ!

 

क्या है आर्थिक रूप से पिछरा वर्ग की आरक्षण ? ई डब्ल्यू एस कोटा के बारे में कुछ विशेष जानकारियाँ!

घोषणा कैसे हुआ ई डब्ल्यू एस आरक्षण कोटा की
!

 

ई डब्ल्यू एस आरक्षण कोटा की घोषणा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार अर्थात

नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली एन डी ए सरकार ने २०१९ की केंद्रीय आम चुनाव से महीनों पहले जनवरी 2019 में की थी।

एन डी ए सरकार ने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में 10% सीटें गरीब तबके के लोगों के लिए

उनकी भूमि जोत, मासिक आय या आवास के आकार के आधार पर लिए अलग रखी जाएंगी।

एन डी ए सरकार की इस घोषणा ने भारत की सकारात्मक सरकारी कार्रवाई संरचना में

आर्थिक स्थिति को शामिल करने की लंबे समय से प्रलंबित मांग को पूरा किया,

लेकिन आलोचकों ने तर्क दिया कि यह केवल मात्र राजनीतिक दलों के लिए उच्च जाति और

अन्य प्रभावशाली समुदायों को खुश करने का एक तरीका है क्योंकि,

आरक्षण के वर्तमान तंत्र में केवल दलितों, जनजातियों के लोगों और पिछड़े समूहों को ही शामिल किया गया है।

अनुसूचित जाति समूहों के व्यापक विरोध के महीनों बाद यह सरकार को समाज के इन पिछड़े हुए वर्गों की रक्षा के लिए

बनाया गया अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के कुछ प्रावधानों को

मज़बूरी में बदलना परा, इन अधिनियमों को आदालत द्वारा संरक्षित रखा गया था।

 

 

 

ई डब्ल्यू एस आरक्षण के बारे में मौजूदा कानून क्या कहता है!

ई डब्ल्यू एस आरक्षण बिल को दोनों ही सदनों में मिला था भारी समर्थन!

 

क्या कहता है ई डब्ल्यू एस आरक्षण के बारे में मौजूदा कानून!

12 जनवरी, 2019 को, संसद ने संविधान में 103 वां संशोधन पारित किया,

जिससे सरकार को अनुच्छेद 15 और अनुच्छेद 16 को संशोधित करके ई डब्ल्यू एस कोटा स्थापित करने की अनुमति मिली,

जहां से विशिष्ट श्रेणियों के लिए आर्थिक दृष्टि से विशेष सकारात्मक कार्रवाई करने की क्षमता सरकार को प्राप्त हुआ।

इसे दोनों ही सदनों में भारी समर्थन मिला, खासकर लोकसभा में इस ई डब्ल्यू एस आरक्षण बिल को भारी बहुमत मिला।

दोनों ही सदन मिलाकर केवल तमिलनाडु के डी एम् के एवं बिहार के लालू प्रसाद यादव की नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनता दल

ने इसका विरोध किया, परन्तु बाद में आर जे डी ने भी आपना विरोध को वापस ले लिया!

 

 

 

ई डब्ल्यू एस आरक्षण बिल की मूल संरचना तैयार करने के लिए अनुच्छेद 15 व् अनुच्छेद 16 में बदलाव किया गया!

 

ई डब्ल्यू एस आरक्षण बिल की मूल संरचना तैयार करने के लिए भारतीय कानून ने

अनुच्छेद 15 (जो धर्म, जाति, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव के निषेध पर प्रतिबंध लगाता है) और,

अनुच्छेद 16 (जो राज्य के अधीन किसी कार्यालय में रोजगार या नियुक्ति से संबंधित मामलों में सभी नागरिकों के लिए अवसर की समानता की गारंटी देता है) में एक नया खंड डाला गया।

इन दोनों महत्वपूर्ण अनुच्छेद में पहले से ही प्रावधान थे; जो सरकार को एस सी, एस टी और

सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों (ओ बी सी पढ़ें) के लिए विशेष कोटा प्रावधान बनाने की अनुमति देते थे,

लेकिन ई डब्ल्यू एस आरक्षण बिल लाने हेतु नया संविधान संशोधन में 15(6) और;

अनुच्छेद 16 (6) जिसमें कहा गया है कि किसी भी राज्य सरकार को आपने आर्थिक रूप से कमज़ोर रहिवासियों के आर्थिक विकास के लिए लिया गया क़ानूनी बदलाओं पर पावंदी नहीं होगा!

सरकार आपने “नागरिक समूह के किसी भी आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की उन्नति के लिए कोई विशेष प्रावधान कर सकता है”।

 

 

 

क्या है आर्थिक रूप से पिछरा वर्ग की ई डब्ल्यू एस आरक्षण की मूल ढांचा ? कौन है ई डब्ल्यू एस आरक्षण के लाभार्थी ?

 

सुप्रीम कोर्ट में ई डब्ल्यू एस आरक्षण कानून को न्यायिक वैधता मिलने के तुरंत बाद,

कई राज्य सरकारों ने अपने संबंधित नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में ई डब्ल्यू एस आरक्षण को

लागू करने के अपने इरादे की घोषणा की।

 

ई डब्ल्यू एस आरक्षण का लाभ कैसे मिलेगा ?

आरक्षण का लाभ उठाने के लिए प्रमुख बिन्दुएँ :-

  • एक लाभार्थी की पारिवारिक आय 8 लाख रुपये प्रति वर्ष से कम होनी चाहिए,
  • वह 5 एकड़ से कम जमीन के मालिक होना चाहिए !
  • उनके पास 1,000 वर्ग फुट से कम क्षेत्र का का फ्लैट होना चाहिए !
  • एक अधिसूचित नगरपालिका क्षेत्र में 100 वर्ग गज से कम आवासीय भूखंड का मालिक होना चाहिए!
  • गैर-अधिसूचित नगरपालिका क्षेत्र में 200 वर्ग गज से कम का आवासीय भूखंड का मालिक होना चाहिए।

 

 

 

ई डब्ल्यू एस आरक्षण कानून को लेकर क्या है विवाद ?

 

ई डब्ल्यू एस आरक्षण कानून को लेकर क्या है विवाद ?

समालोचकों का कहना है की,

अब तक भारत के सामाजिक-आर्थिक इतिहास में कोटा एक महत्वपूर्ण व् अबिछेद्द अंग बना हुआ था।

आजादी के बाद पहली बार, सरकार केवल जाति या जनजाति के आधार पर सकारात्मक कार्रवाई करने से दूर हो गई,

दूसरे शब्दों में, सरकार ने पिछड़े वर्गों की जन जातियों के प्रति हुए ऐतिहासिक उत्पीड़न को दुर्लक्ष्य कर दिया।

इसीलिए लगभग तुरंत ही, इस ई डब्ल्यू एस आरक्षण कानून निर्णय को चुनौती दी गई।

कुछ याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि ई डब्ल्यू एस कोटा ने संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन किया है!

समालोचकों के अनुसार भारतीय संविधान अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति जैसे

सामाजिक रूप से वंचित समूहों की मदद करने के लिए एक तंत्र के रूप में आरक्षण की कल्पना की थी,

समालोचकों का यह भी कहना है को भारत की मौजूदा संविधान

आपने नागरिकों की गरीबी को कम करने के लिए एक आर्थिक उपकरण के रूप में कभी भी बनाया नहीं गया था।

इन समालोचकों के अनुसार मोदी सरकार ने

इस ई डब्ल्यू एस आरक्षण कानून लाकर – भारत की मौजूदा संविधान को ही समाप्त कर दिया है!

 

 

 

क्या ई डब्ल्यू एस आरक्षण कानून से केवल उच्च जातियों के वर्चस्व वाले वर्ग को ही मिलेगा लाभ?

 

अन्य कई आलोचकों ने कहा कि इस कोटा के कार्यान्वयन ने 1992 में अपने ऐतिहासिक इंदिरा साहनी फैसले में

सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्थापित 50% कोटा कैप को भंग कर दिया क्योंकि; आरक्षण की

वर्तमान मात्रा 49.5% (15% अनुसूचित जाति, 7.5% अनुसूचित जनजाति और 27% अन्य पिछड़ा वर्ग) थी।

तीसरे पक्ष के वकील ने तर्क में कहा कि इस इस ई डब्ल्यू एस आरक्षण कानून में

एस सी, एस टी और ओ बी सी को कोटा का लाभ उठाने से प्रभावी रूप से रोककर, कानून ने

सबसे अधिक वंचित समूहों को आरक्षण के लाभों से बाहर रखा और

इस श्रेणी को उच्च जातियों के वर्चस्व वाले वर्ग में बदल दिया।

अधिकांश आधिकारिक सर्वेक्षणों से पता चलता है कि भारत की सबसे गरीब आबादी का एक बड़ा हिस्सा

वंचित व् पिछड़े हुए की जातियों और जनजातियों से आता है,

इस तथ्य का उल्लेख दोनो असंतुष्ट न्यायाधीशों ने भी किया है।

 

 

 

सरकार ने क्या कहा इस ई डब्ल्यू एस आरक्षण कानून को लेकर?

 

सरकार ने उपरोक्त सभी तर्क को खारिज कर दिया यह कहते हुए की –

ई डब्ल्यू एस कोटा हटा दिया जाना चाहिए क्योंकि यह 50% कोटा कैप से अधिक है।

सरकारी वकील ने कहा कि असाधारण परिस्थितियों में अदालत द्वारा अनिवार्य सीमा का उल्लंघन किया जा सकता है।

सरकार ने ई डब्ल्यू एस कोटा को जरूरी बताया क्योंकि सरकारी ब्याख्यान के अनुसार ‘पिछड़ा’ शब्द का अर्थ है

सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े!

परन्तु मौजूदा कानून के अनुसार इस पिछड़ा शब्द का मतलब केवल मात्र जाती के आधार से परिभाषित किया गया था,

ऐसी परिस्थिति में प्रशासन के पास सकारात्मक आर्थिक विकास मूलक कार्रवाई की प्रावधान के लिए

एक नई श्रेणी का कानून बनाने के अलावा और कोई भी विकल्प नहीं था।

सरकार इस तर्क को खारिज कर दिया कि ई डब्ल्यू एस कोटा सकारात्मक कार्रवाई की मौजूदा श्रेणियों के लिए

अनुचित था, एवं इस ई डब्ल्यू एस कोटा मौजूदा पिछड़े वर्ग के लिए रखा गया आरक्षण को खा जायेगा।

सरकार ने कहा कि उसने आनुपातिक रूप से सीटों या नौकरियों की संख्या में वृद्धि की है!

इस प्रकार से सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि

किसी विशेष समूह को आवंटित सीटों या नौकरियों की कुल संख्या अपरिवर्तित रहे।

सरकार ने अंत में यह भी कहा कि सरकार को आर्थिक रूप से एक वंचित समूह की मदद करने के लिए

कानून लाने का अधिकार था – एवं इस मामले में,

ई डब्ल्यू एस आरक्षण उन सभी के लिए लाया गया- जो आज तक मौजूदा लाभों से संरक्षित नहीं थे!

 

 

 

ई डब्ल्यू एस आरक्षण कानून को लेकर न्यायिक फैसले का क्या मतलब हो सकता है ?

 

न्यायमूर्ति माहेश्वरी ने कहा कि 50% कोटा कैप की वांछनीयता पर शीर्ष अदालत की पिछली टिप्पणियों को

अनुच्छेद 15(4), 15(5) और 16(4) के तहत प्राप्त आरक्षण के संदर्भ में पढ़ने की जरूरत है और

ऐसा नहीं है की यह सन्दर्भ में मौजूदा कानून अपरिवर्तन योग्ग्य नहीं था ।

इसका निश्चित रूप से भविष्य की कोटा मांगों पर प्रभाव पड़ेगा और यह भी देखना उचित होगा की-

कुछ समूहों (जैसे मराठा या जाट) को इसीके अंतर्गत अथवा अलग आरक्षण दिया जा सकता है की नहीं!

इसके अलावा इस न्यायिक मान्यता की अन्तर्निहित अर्थ यह है की,

चूंकि सभी न्यायाधीश आरक्षण देने के लिए आर्थिक मानदंडों का उपयोग करने की वैधता पर सहमत थे, इसीलिए

यह भी देखा जाना बाकी है कि क्या आर्थिक मानदंड सकारात्मक कार्रवाई के लिए तैयार किये जाने वाले

ढाँचे को आकार देने में बड़ी भूमिका कैसे निभाते हैं।

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