ग्रहराज सूर्य – आज हम चर्चा करेंगे नवग्रहो के राजा सूर्यदेव की!

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ग्रह राज सूर्य – आज हम चर्चा करेंगे नवग्रहो के राजा सूर्य देव की!

समाज विकास संवाद,
मुंबई,

 

ग्रहराज सूर्यआज हम चर्चा करेंगे नवग्रहो के राजा सूर्यदेव की, भगवान सूर्य की मानव जीवन पर, जन्म कुंडली में सूर्य शुभ फल दायक, सूर्य गायत्री मंत्र, सूर्य कवच एवं आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ करना चाहिए!- समाज विकास संवाद!

सृष्टि रचना के समय ब्रह्मा जीके पुत्र मरीचि हुए जिनके पुत्र ऋषि कश्यप का विवाह

अदिति से हुआ | अदिति ने घोर तप द्वारा भगवान् सूर्य को प्रसन्न किया जिन्होंने

उसकी इच्छा पूर्ति के लिए सुषुम्ना नाम की किरण से उसके गर्भ में प्रवेश किया |

गर्भावस्था में भी अदिति चान्द्रायण जैसे कठिन व्रतों का पालन करती थी |

ऋषि राज कश्यप ने क्रोधित हो कर अदिति से कहा ” तुम इस तरह उपवास

रख कर गर्भस्थ शिशु को क्यों मरना चाहती हो ?  यह सुन कर देवी अदिति ने

गर्भ के बालक को उदर से बाहर कर दिया जो अपने तेज से प्रज्वल्लित हो रहा था,

भगवान् सूर्य शिशु रूप में उस गर्भ से प्रकट हुए |

 

 

ग्रहराज सूर्य – आज हम चर्चा करेंगे! ब्रह्म पुराण में अदिति के गर्भ से जन्मे सूर्य के अंश को विवस्वान कहा गया!

 

ब्रह्म पुराण में अदिति के गर्भ से जन्मे सूर्य के अंश को विवस्वान कहा गया |

सूर्य को जगत की आत्मा कहा गया है | ब्रह्मा जी की प्रार्थना पर सूर्य ने अपने महातेज को

समेट कर स्वल्प तेज को ही धारण किया |

ज्योतिष शास्त्र में नव ग्रहों में सूर्य को राजा का पद प्राप्त है |

सूर्य से ही इस पृथ्वी पर जीवन है l १२ राशिओ में सिंह राशि पर इनका अधिकार है |

उत्तरायण के आरम्भ में मकर राशि में प्रवेश करता है तो इसकी गति मंद हो जाती है |

कर्क राशि में प्रवेश करने पर ये दक्षिणायन हो जाते हैं |

 

 

ग्रहराज सूर्य – आज हम चर्चा करेंगे! भगवान सूर्य की मानव जीवन पर कृपा का कारण हे!

 

भगवान सूर्य की मानव जीवन पर कृपा का कारण हे , वह समस्त लोकों के समुद्रों ,

सरोवरों ,नदियों व स्थावर -संगम प्राणियों में स्थित जल को अपनी किरणों द्वारा खींचकर

मेघो में प्रवर्तित कर देते हे | मेघ वायु द्वारा प्रेरित हो कर पृथ्वी पर जल की वृष्टि करते हैं,

जिसे हम वर्षा कहते हे, जिस से अन्न की उत्पत्ति होती है और अन्नू से ही सम्पूर्ण जगत का पोषण

होता है |सूर्य सभी प्राणिओ की आत्मा माने गए हे | इन्द्रियों में नेत्रों का स्वामी सूर्य है |

नेत्रों में कष्ट होने पर सूर्य स्तोत्र का पाठ करना कहा गया है |

ज्योतिषशास्त्र में सूर्य को आत्मा, नेत्र, पिता, प्रताप, आरोग्यता, लाल रंग के पदार्थ,

अस्थि, सिर, हृदय, उदर, महत्वकांक्षा, राजनीति, राजा इत्यादि का कारक माना गया है |

जन्म कुंडली में सूर्य यदि नीच -शत्रु राशिस्थ, पाप ग्रहों से युक्त या दृष्ट हो कर त्रिक में हो तो

नेत्र कष्ट, हृदय रोग, सिर में पित्त जनित विकार, अस्थि रोग, ज्वर इत्यादि रोग प्रदान करता है |

रविवार ताम्बे के पात्र में जल में गुड लाल चन्दन ,लाल पुष्प ड़ाल कर नित्य सूर्य को

अर्घ्य देने पर भी शुभ फल प्राप्त होता है | सर्व प्रचलित विंशोत्तरी दशा के अनुसार

सूर्य की महादशा 6 वर्ष की होती है |

 

 

नवग्रहो के राजा सूर्यदेव! जन्म कुंडली में सूर्य शुभ फल दायक!

 

नवग्रहो के राजा सूर्यदेव! जन्म कुंडली में सूर्य शुभ फल दायक सिद्ध होता हो तो

उसकी दशा में यश वृद्धि, स्वर्ण लाभ, पिता एवम राजा से लाभ, उद्योगशीलता, राज सम्मान,

प्राकृतिक स्थलों पर भ्रमण होगा |

यदि अशुभ फल देने वाला हो तो ज्वर, सिर पीड़ा, नेत्र कष्ट, पित्त की अधिकता,

क्रोध, पिता को कष्ट, राजा से हानि, धन व यश की हानि, हृदय रोग, एवम कलह क्लेश होगा |

सूर्य की धातु ताम्बा है | माणिक्य सूर्य का रत्न | सूर्य यदि अशुभ फल देने वाला हो तो

सोने में माणिक्य सूर्य के नक्षत्रों कृतिका,

उत्तरा फाल्गुनी व उत्तराषाढ़ में जडवा कर रविवार को दाहिने हाथ की अनामिका उंगली में

सुबह ०८ से १० बजे के बीच धारण करना चाहिए |

रविवार को सूर्योदय के बाद गेंहु, गुड, केसर, लाल चन्दन, लाल वस्त्र, ताम्बा,

सोना तथा लाल रंग के फल दान करने चाहियें |

 

 

सूर्य के बीज मन्त्र – ॐ ह्रां ह्रीं ह्रों सः सूर्याय नमः

समाज विकास संवाद

गृहराज सूर्य के बीज मन्त्रॐ ह्रां ह्रीं ह्रों सः सूर्याय नमः के 7000 की संख्या में जप करने से भी

सूर्य कृत अरिष्टों की निवृति हो जाती है |

गायत्री जाप से, रविवार के मीठे व्रत रखने से तथा ताम्बे के पात्र में जल में

लाल चन्दन, लाल पुष्प ड़ाल कर नित्य सूर्य को अर्घ्य देने पर भी शुभ फल प्राप्त होता है |

विधि पूर्वक बेल पत्र की जड़ को रविवार में लाल डोरे में धारण करने से भी सूर्य प्रसन्न हो कर

शुभ फल दायक हो जाते हैं | सूर्य ऐसे भगवान हे जिसे हम प्रत्यक्ष देख सकते हे,

आदि जगद्गुरु शंकराचार्य ने जो पंच देव की पूजा बताई थी उनमें भगवान सूर्य भी हे l

सूर्य जब जन्म राशि में ३, ६, १० और ११ वे स्थान पर रहेगा तो निश्चित रूप से

अच्छे परिणाम देगा,तब व्यक्ति आत्म विश्वासी और शक्तिशाली सोच रखता हे, उत्साह,

होंसला, रोग के सामने लड़नेवाला पिता से सुख प्रतिष्ठा और अच्छी दृष्टि प्रदान करता हे,

वह ख़ास करके मेष,सिंह और धनु राशि में सूर्य ग्रह लाभ दाई माना जाता हे l

 

 

सूर्य गायत्री मंत्र , सूर्य कवच एवं आदित्य ह्रदय स्तोत्र का नियमित पाठ करना चाहिए!

समाज विकास संवाद

सूर्य जब जन्म राशि में १, २, ४, ५ और ७ वे स्थान पर रहेगा तो निश्चित रूप से बुरे परिणाम देगा,

तब व्यक्ति बहुत सारी समस्या का सामना करता हे, कुंडली में सूर्य – शनि, राहु या

केतु के साथ हे या उनके प्रभाव में हे तब वह कमजोर या हानिकारक हो जाता हे,

तब आँख से और हड्डीओं की समस्या बढ़ जाती हे, आत्म विशवास का अभाव रहता हे,

पिता से अच्छे सम्बन्ध नहीं रहते, पिता का स्वास्थ बिगड़ सकता हे,

एसीडीटी और कब्ज की और ह्रदय रोग की समस्या सताती हे,

उपाय के तौर पर – रोज सूर्य को जल से अर्ध्य दे, रविवार को सूर्य स्तोत्र का पाठ,

सूर्य द्वादश नाम स्तोत्र का पाठ, सूर्य कवच एवं आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ करना चाहिए l

मंत्र – जपाकुसुम संकाशं काश्य पेयं महाद्युतिम l तमोरि सर्व पापघ्नम् प्रणतोस्मि दिवाकरम ll

बीज मंत्र – ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः

सूर्य गायत्री मंत्र – ॐ आदित्याय विद्महे दिवाकराय धीमहि तन्नः सूर्य प्रचोदयात !

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