प्रयोगशाला की कौशल्य खेती में पोहुचाने से बढेगा कृषि में शाश्वत विकास की गति : उपराष्ट्रपति!

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प्रयोगशाला की कौशल्य खेती में पोहुचाने से बढेगा कृषि में शाश्वत विकास की गति : उपराष्ट्रपति!

Promotion of laboratory skills will increase the pace of sustainable development in agriculture: Vice President.
समाज विकास संवाद !
पुणे,

प्रयोगशाला की कौशल्य खेती में पोहुचाने से बढेगा कृषि में शाश्वत विकास की गति : उपराष्ट्रपति, 

कृषि क्षेत्र में विकास के लिए सिंचाई, आवश्यक सुविधाएं,

निवेश और बीमा क्षेत्र को मजबूती प्रदान करके प्रयोगशाला की तकनीक अब किसानों के खेती तक पहुंचाने की आवश्यकता है।

कृषि उत्पादन के विपणन व्यवस्था को मजबूत करने के साथ-साथ किसानों का ज्ञान,

तकनीक और आर्थिक सहायता देने से किसानों का उत्पादन बढ़ सकेगा।

किसानों के ज्ञान और उनके पास के तकनीकी को जोडऩे के लिए सभी को किसानों के साथ काम करना होगा। यह प्रतिपादन उपराष्ट्रपति वेंकय्या नायडू ने  की।

वह यहां के वैकुंठ मेहता सहकार व्यवस्थापन राष्ट्रीय संस्था में आयोजित कृषि क्षेत्र शाश्वत;

एवं फायदेमंद बनाने के विषय पर आयोजित राष्ट्रीय चर्चासत्र के उद्घाटन के अवसर पर बोल रहे थे।

 

प्रयोगशाला की कौशल्य से बढेगा कृषि में शाश्वत विकास की गति। 

इस अवसर पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडऩवीस, पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार,

वरिष्ठ शास्त्रज्ञ तथा कृषि विशेषज्ञ डॉ. एमएस स्वामीनाथन, एसके पट्टनायक, आयवी सुब्बा राव,

टी. चटर्जी, आंध्रप्रदेश के पूर्व कृषि मंत्री वी. राव, अशोक गुलाटी उपस्थित थे।

कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा कि खेती को व्यवहार्य, फायदेमंद और शाश्वत  बनाने के लिए बहुस्तरीय नीति विकसित करने की आवश्यकता है।

कृषि उत्पादन में हमने बहुत प्रगति की है और खाद्यान्न उत्पादन में परिपूर्ण हुए है।

लेकिन आगे  हमें  रासायनिक खाद एवं औषधियों के उपयोग पर नियंत्रण लाने की आवश्यकता है।  तभी हम शाश्वत खेती की ओर जा सकते है।

 

युवाओं को कृषि व्यवसाय की ओर लाने के प्रयास करने की भी आवश्यकता। 

खेती से शाश्वत उत्पादन नहीं मिलने पर कई लोग खेती से दूर हो रहे है।

विविध उपाययोजनाओं का उपयोग करके हमें कृषि को शाश्वत करना चाहिए।

साथ ही युवाओं को कृषि व्यवसाय की ओर लाने के प्रयास करने की भी आवश्यकता है।

कृषि क्षेत्र की चुनौतियों का  सामना करने के लिए हम सभी ने एक साथ प्रयास करने की आवश्यकता भी उन्होंने जताई है।

फल, सब्जियां, मसाले, अरहर और गन्ने जैसे उच्च मूल्यों के फसल की बुआई के लिए किसानों को प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है।

उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ हमें खाद्यान्न के कार्यक्षम वितरण करने की भी आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि किसानों की फसल पद्धति,

छटाई के बाद की प्रक्रिया और खाद्य प्रक्रिया तकनीक पर सलाह देने के लिए;

कृषि विज्ञान केंद्र ने अधिकतर लोगों के बीच जाकर;

एवं लोगों के अनुरूप काम करने की आवश्यकता है।

 

योग्य नियोजन करने के आवश्यकता है। 

हमें कृषि क्षेत्र में सुधार करने के लिए कुछ अर्थपूर्ण एवं व्यावहारिक उपाय निकालकर;

वर्तमान के नीति एवं कार्यक्रम का योग्य नियोजन करने के आवश्यकता है।

इस अवसर पर  मुख्यमंत्री देवेंद्र फडऩवीस ने कहा कि राज्य के 50 से 55 प्रतिशत लोग आज भी कृषि क्षेत्र पर प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्षप रूप से निर्भर है।

लेकिन राष्ट्रीय सकल उपज में कृषि क्षेत्र का योगदान केवल 10 फीसदी है।

इसके लिए कृषि क्षेत्र में अधिकतम निवेश होने की आवश्यकता है।

निवेश के माध्यम से  ही कृषि क्षेत्र का शाश्वत विकास संभव है।

इसके लिए राज्य सरकार कृषि क्षेत्र में निवेश बढ़ाने के लिए प्रयासरत है।

कृषि क्षेत्र पर कई वर्गों का परिणाम होता है और इसमें मानसून का बड़ा हिस्सा है।

बारिश के अनियमिता के कारण ही कृषि क्षेत्र पर परिणाम होता है।

जल व्यवस्थापन के माध्यम से इस समस्या का निराकरण किया जा सकता है।

महाराष्ट्र में जलयुक्त शिवार अभियान के माध्यम से इस समस्या का निराकरण करने का प्रयास किया जा रहा है।

जलयुक्त शिवार अभियान यह शास्त्रशुद्ध प्रक्रिया की मुहिम है।

इस माध्यम से राज्य के कई गांव जलमय हुए है  और इन गांवों में कृषि के लिए संरक्षित सिंचाई उपलब्ध हुई है।

पिछले साल 80 फीसदी बारिश होने के बाद भी कृषि उत्पादन 110 प्रतिशत हुआ है।

 

योग्य जलसंवर्धन और जल व्यवस्थापन से ही संभव। 

यह सिर्फ योग्य जलसंवर्धन और जल व्यवस्थापन से ही संभव हुआ है।

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि जलसंधारण के विविध उपाययोजनाओं से कृषि उत्पादन में वृद्धि होने से;

खेतमाल की दरों को लेकर भी समस्याएं निर्माण हुई है।

लेकिन किसानों के खेतमाल को दर देने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने बड़े पैमाने पर खेतमाल खरीदी किया है।

 

शाश्वत खेती और किसानों के सामने मार्केट लिंकेज यह सबसे बड़ा संकट है।

किसानों के उत्पादित कृषि उत्पादन को योग्य मार्केट उपलब्ध कराना आवश्यक है।

इसके साथ ही लघु भूमिधारणा भी  शाश्वत खेती के सामने बड़ी समस्या है।

इसके लिए सरकार ने गुट रूप से खेती करने की प्रकिया को गति देने को लेकर प्रयासरत है।

गुट कृषि को गति देने के लिए सरकार की ओर से विविध योजनाएं बनाई गई है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे अत्याधुनिक तकनीकी के माध्यम से कृषि क्षेत्र में तकनीक लाना आवश्यक है और इसके लिए सरकार प्रयासरत है।

केंद्र सरकार के माध्यम से शुरू स्वराज्य से सुराज्य इस चर्चासत्र की शृंखला बहुत महत्वपूर्ण है।

इस माध्यम से देश के कृषि क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन लाने में मदत होगी।

यह विश्वास भी उन्होंने व्यक्त किया।

इस दौरान डॉ. एमएस स्वामीनाथन ने ग्रीन टू एवरग्रीन फॉरेवर इस विषय पर प्रस्तुतिकरण किया।

इस अवसर उन्होंने देश में किसानों के सामने आनेवाली विविध चुनौतियों का जायजा लिया।

इसके अलावा उन्होंने खेती के शाश्वत विकास के लिए उपाययोजनाओं की विस्तार से जानकारी भी दी।

कार्यक्रम में कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञ,

अनुसंधानकर्ता और शास्त्रज्ञ उपस्थित थे।

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